आने वाला है भूचाल! अमेरिका ने गंवाई आखिरी परफेक्ट क्रेडिट रेटिंग, 108 साल में पहली बार हुआ ऐसा
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19-05-2025 01:34 PM
नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका के लिए अच्छी खबर नहीं है। मूडीज रेटिंग्स ने अमेरिका के कर्ज की रेटिंग घटा दी है। इससे साथ ही देश की आखिरी परफेक्ट क्रेडिट रेटिंग भी खत्म हो गई है। इस फैसले से वित्तीय बाजारों में उथल-पुथल हो सकती है और ब्याज दरें भी बढ़ सकती हैं। साथ ही टैरिफ और महंगाई की मार झेल रहे अमेरिकी लोगों पर और भी ज्यादा आर्थिक बोझ पड़ सकता है। तीनों बड़ी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में से मूडीज ही एकमात्र ऐसी एजेंसी थी जिसने अमेरिका के कर्ज को AAA की आउटस्टेंडिंग रेटिंग बरकरार रखी थी। मूडीज ने 1917 से अमेरिका को परफेक्ट क्रेडिट रेटिंग दी थी और तबसे इसे मेंटेन रखा था।अब मूडीज ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग को एक पायदान नीचे कर दिया है। अब यह Aa1 हो गई है। फिच रेटिंग्स और एसएंडपी पहले ही अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग को कम कर चुके हैं। फिच रेटिंग्स ने 2023 और एसएंडपी ने 2011 में ही अमेरिका के कर्ज की क्रेडिट रेटिंग घटा दी थी। मूडीज ने एक बयान में कहा कि कर्ज की रेटिंग घटाने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि एक दशक से भी ज्यादा समय से सरकारी कर्ज और ब्याज भुगतान का अनुपात उन स्तरों तक बढ़ गया है जो समान रेटिंग वाले देशों की तुलना में काफी ज्यादा है।कर्ज का संकट
मूडीज का कहना है कि आगे चलकर अमेरिका की कर्ज की जरूरतें और बढ़ेंगी। इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। हालांकि व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन बाइडेन की गड़बड़ियों को ठीक करने पर ध्यान दे रहा है। पिछली सरकार में हो रहे फिजूलखर्ची, धोखाधड़ी और दुरुपयोग को कम किया जाएगा। अगर मूडीज में थोड़ी भी विश्वसनीयता होती, तो वह पिछले चार साल में हुई वित्तीय तबाही पर चुप नहीं रहती।उल्लेखनीय है कि मूडीज ने पिछले साल नवंबर में ही अमेरिका को रेटिंग में कटौती के लिए चेतावनी दे दी थी। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा कि सरकारी राजस्व बढ़ाकर या खर्च कम करके अमेरिका अपनी AAA रेटिंग को वापस पा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक अमेरिका का सालाना घाटा 2024 में 1.8 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2034 तक 2.9 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा। अमेरिका 2011 में 1.3 ट्रिलियन डॉलर का वार्षिक बजट घाटा चला रहा था, जो पिछले साल बढ़कर 1.8 ट्रिलियन डॉलर हो गया है।