किसी भी शहर का वाटर लेवल, वहां का तापमान घटाने-बढ़ाने में मददगार रहता है। राजा भोज के शासनकाल की बात करें तो तालाबों से घिरे भोपाल का तापमान 30-35 डिग्री से ज्यादा नहीं होता था। धीरे-धीरे तालाबों में पानी कम होता गया, जिससे जमीन के नीचे जलस्तर भी घटता चला गया और आज भोपाल के कई इलाकों में जमीन के नीचे पानी जल्दी मिलता ही नहीं है।
इसका असर ये है कि भोपाल का तापमान भी अब 42-45 डिग्री तक पहुंचना आम हो गया है। मेरी एक स्टडी में यह बात सामने आई है। ज्यादा से ज्यादा रेन वाटर हार्वेस्टिंग करके इस स्थिति को सुधारा जा सकता है।
शहर के नए फ्लाईओवर को ही देखिए। करीब 150 करोड़ रुपए खर्च कर बनाए गए जीजी फ्लाईओवर (अंबेडकर सेतु) में 85 वाटर होल बनाए गए हैं, लेकिन एक को भी जमीन से नहीं जोड़ा गया है। यानी इस पूरे फ्लाईओवर से गिरने वाला वर्षा जल सड़क पर बह जाता है। इसके एक होल का पैमाना 2 लीटर पर सेकंड (एलपीएस) है।
यानी हर एक वाटर होल से 2 लीटर पानी प्रति सेकंड बह जाता है। 85 वाटर होल की गणना करें तो इनसे हर सेकंड 170 लीटर पानी बह जाता है, जबकि हर एक मिनट में करीब 10200 लीटर पानी, यूं ही बह जाता है। इसे घंटे फिर दिन फिर पूरे वर्षाकाल से गुणा करते हुए अंदाजा लगाएं कि हम केवल एक प्रोजेक्ट से कितना पानी बर्बाद कर रहे हैं।
यदि रेन वाटर हार्वेस्टिंग से 30% वर्षा जल भी जमीन के नीचे पहुंचा दिया जाए तो न केवल पूरे शहर का जलस्तर सुधरेगा, बल्कि तापमान में भी गिरावट आएगी।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग करें तो शहर का तापमान भी कम होगा
सेमी क्रिटिकल कैटेगरी में है भोपाल सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की ताजा रिपोर्ट में भोपाल को सेमी क्रिटिकल कैटेगरी में रखा गया है। शहर में ऐसे कई स्थान हैं, जहां 500 फीट पर भी पानी उपलब्ध नहीं है। भोपाल में 2859.06 हेक्टेयर मीटर में से 2271.72 हेक्टेयर मीटर पानी निकाला जा रहा है। यानी 79.46% भूजल का उपयोग किया जा रहा है। ऐसा केवल इसलिए क्योंकि बरसात में ग्राउंड वाटर कम रीचार्ज हुआ है। ये रीचार्ज आरडब्ल्यूएच लगाने से ही हो सकेगा।
एआई से बदलेंगे मैनेजमेंट सिस्टम
केंद्र सरकार ने दिए हैं प्रबंधन के निर्देश ..
मप्र हाउसिंग बोर्ड की ओर से आयोजित इस सेमिनार का शुभारंभ बोर्ड कमिश्नर डॉ. राहुल हरिदास फटिंग ने किया। यहां बताया गया कि केंद्र सरकार ने हर राज्य सरकार को प्रमोटिंग ग्रीन एंड सस्टेनेबल सिटीज का प्रबंधन करने के निर्देश दिए हैं।